एक शराबी बारमें अपने हाथमें रखी तिन भूरे रंग की गोलीयोंकी तरफ लगातार देख रहा था. इतनेमें वहां संतासिंग आया. संताने उस शराबीसे पुछा, '' यह किस बातकी गोलियां है ?''
शराबीने जवाब दिया, '' अकल बढानेकी ... यह गोलियां खानेसे आदमीकी अकल बढती है ''
''ऐसा है क्या? ... तो फिर मुझे एक दो ना '' संताने उसके हाथमें रखी एक गोली लेकर झटसे गटक ली और उपरसे पाणीभी पी लिया.
थोडी देर बाद संताने कहा, '' मैने एक गोली खाई है .. लेकिन मुझे तो कोई फर्क नही लग रहा है ''
'' तुम्हे शायद और गोलीयां खानी पडेगी... तब कहा फर्क महसूस होगा '' शराबीने कहा.
इसलिए संताने और एक गोली खाई और उपरसे पाणी पीकर झटसे गटक ली.
थोडी देर बाद संताने उस शराबीके हाथसे तिसरी गोली ली और वह उस गोलीकी तरफ गौरसे देखने लगा. उसने उस गोलीका एक छोटा टूकडा तोडकर अपने मुंहमें डाला और धीरे धीरे चबाकर उसका स्वाद लेने लगा. अचानक उस गोलीका टूकडा मुंहसे बाहर थूंकते हूए संताने कहा, '' क्यो बे... इसका स्वाद तो भैसके गोबरकी तरह लग रहा है''
उस शराबीने कहा, '' देख ... अब कैसे तेरी अकल बढ रही है ''
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