एक सरदार अपने घरके सामने अपने पेढ पौधोंको पाणी दे रहा था. इतनेमें वहां एक पुलीस बाईकपर आया. सरदारजीके घरके सामने वह बाईकसे उतरा. सरदारजीके घरसे 40-50 फीटतक दौडते हूए आगे गया और थोडी देरमें सरदारजीके घरके सामने फिरसे वापस आया. अब वह सरदारजीके घरसे पिछेकीतरफ 30-40 फिटतक दौडते हूए गया और फिर थोडी देर बाद वापस आया. पौधोंको पाणी देते हुए सरदारजी वह सब देख ही रहा था. सरदारजी के खयालमें आगयाकी शायद पुलिस किसी मुजरीमको ढूंढ रहा हो.
''साहब किसे ढूंढ रहे हो ?'' सरदारजीने पुछा.
पुलिस सरदारजीके पास गया. उसने जेबसे एक तस्वीर निकाली और सरदारजीको दिखाते हूए कहा,
'' यह एक खुंखार मुजरीमकी तस्वीर है ... उसीकोही मै ढूंढ रहा हुं... तुमने अभी उसे यहांसे जाते हूए देखा तो नही ?'' पुलिस ने पुछा.
सरदारजीने तस्वीर हाथमें ली और गौरसे उस तस्वीरकी तरफ देखा. तस्वीर पुलिसको वापस देते हूए सरदारजीने कहा, '' नही... नही देखा''
पुलिस तस्वीर वापस लेकर वहांसे जानेलगा. थोडी दूर जानेके बाद सरदारजीने आवाज दिया, '' साहब एक मिनट''
पुलीस पलटकर सरदारजीके पास गया.
'' जरा वह तस्वीर तो दिखावो''
पुलिसने फिरसे तस्वीर निकालकर सरदारजीके पास दी.
सरदारजीने थोडी देर तस्वीरकी तरफ गौरसे देखा और कहा,
'' मेरे एक बात समझ मे नही आती ... इतना खुंखार मुजरीम था तो जब उसकी तस्वीर निकाली तभी उसको क्यो नही पकडा?''
हा हा!
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