एक बार जंता सिंगको नाटकमें लेडीज का रोल करना था. नाटक शुरु होगया. डायरेक्टर भी सामने प्रेक्षकमें बैठकर अपना नाटक कैसा हो रहा है यह देखने लगा. डायरेक्टर खुश था की नाटकको पब्लीक का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा था. इतनेमें जंता सिंगकी लेडीज रोलमें ऐंन्ट्री होगई. सब हॉल एकदम शांत होगया. सब लोग हक्का बक्का होकर जंता सिंगको देख रहे थे. जंता सिंगने चौकोनी उरोज (breasts) बिठाए थे. डायरेक्टर उठकर गुस्सेसे स्टेजके पिछे चला गया. उसने हेल्पर बॉयको बुलाकर बहुत झापा.
"' जो जो चाहिए वह सारा सामान जंता सिंगको लाकर देनेके लिए मैने कहा था ना तुमको'' डायरेक्टरने हेल्पर बॉयको कहा.
हेल्पर बॉय - '' मैने सब लाकर दिया साब और दो टेनिसके बॉलभी जंता सिंग को बाजारसे खरीदकर लाके दिये थे''
'' तो फिर ये क्याहै... '' डायरेक्टरने जंता सिंगकी चौकोनी उरोजकी तरफ इशारा कर हेल्पर बॉयको कहा.
'' अब उसने बॉल बक्सेसे निकाले बैगेर वैसेही लगा लिए तो उसे मै क्या कर सकता हू साब '' हेल्पर बॉयने कहा.
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