Labels : cartoon, cartoons, hindi cartoon, hindi cartoons, hindi comedy photo, hindi comedy pics, hindi funny photos, hindi humor photos, hindi photo, hindi pic
---
जंता सिंग बाईक चला रहा था और उसके पिछे संता सिंग और बंता सिंग बैठे हूए थे.
टिबल सिट चल रही बाईक देखकर ट्राफिक पुलिसने उनकी गाडी को रोका.
गाडी रोककर जंताने कहा, '' क्या साब हमें क्यो रोका... देख नही रहे हम पहलेसे टीबलसिट है... अब आपको कहा बिठाऐंगे..''
Labels : funjabi, hindi comedy, hindi comedy katha, hindi comedy unlimited, hindi gags, hindi jokes, hindustani comedy, Hindustani jokes, indian comedy, indian jokes, punjabi jokes, sardar jokes
१। डिप्लोमसी कॉमेडी कथाकथन - पार्ट 2/२
२।डिप्लोमसी कॉमेडी कथाकथन - पार्ट 1/२
You can Email this comedy story to your friends!
Labels : chatpate, chatpate chutkule, hindi chutkule, hindi comedy, hindi comedy sahitya, hindi comedy story, hindi gags, hindi laugh, hindi laughter
आज लाफ्टर क्लबमें दो मेहमान आये थे. वे सबको अलग अलग एक्सरसाईज का प्रात्यक्षीक देने लगे. पहले तो उन्होने कुछ योगा का प्रात्यक्षीक बताया. मर्कटासन, हलासन... पता चला की उसमेंसे शवासन लोगोंको बहोत भा गया फिर पवनमुक्तासन सिखाया गया ... कुछ लोगोंने पवनमुक्तासन को उसके नाम के अनुरुप सच्चा ठहराया... मै तो कहता हूं की पवनमुक्तासन के तुरंत बाद अनुलोम विलोम होना चाहिये... ताकी पवनमुक्तासन के बाद अलगसे नाक दबाने की जरुरत ना पडे. अलग अलग प्रकार के योगा का प्रात्यक्षीक देने के बाद उसने एक गलेमे पैर अटकानेवाला प्रकार किया. वह प्रकार करते वक्त वह जोर जोर से चिल्लाने लगा. उसका वह चिल्लाना उस योग का भाग ना होकर उसके पैर गर्दनमे सचमुछ अटक गये थे ... यह सबको उसके साथीदार ने पैर गलेसे निकालनेके लिए उसकी मदत कि तब पता चला. सब प्रात्यक्षिक करते वक्त बिचबिचमें वे लोग बडी उत्सुकतासे पार्कके गेटकी तरफ देख रहे थे. शायद किसीकी राह देख रहे हो. वह ऐसा क्यो देख रहे यह हमें बादमें पता चला. फिर उन्होने कुछ स्कुल की पीटी जैसे वार्मीग एक्सरसाईजेस लिए. दाया हात उपर करो... उनका इन्स्ट्रकशन आया. अब दाया हात कौनसा यह देखनेके लिये मिश्राजीने बाजूवाले कि तरफ देखा. वह उसके बाजूवाले को देख रहा था. वहां पांडेजी खडे थे. उन्होने खाने की ऍक्शन कर दाया हात झट से उपर किया. अब अगर उन्होने बाया हाथ उपर करो ऐसा आदेश दिया तो पांडेजी कौनसी ऍक्शन करेंगे इसकी कल्पना ना करना ही अच्छा है.
वे डेमोस्ट्रेशन वाले बिच बिच मे पार्क के दरवाजे की तरफ क्यों देख रहे थे यह हमें प्रेसवाले आनेके बाद पता चला. अब तो हम एक तरफ रह गए और वे डेमोस्ट्रेशन देने वाले कॅमेरे की तरफ देखकर इन्स्ट्रक्शन देने लगे. अच्छा तो यह उनकी डिप्लोमसी थी. मै फिर डिप्लोमसी के बारे मे सोचने लगा. आज की तारीख मे इस डिप्लोमसी का फैलाव इतनी तेजी से कैसे हो रहा है. मुझे आशंका होने लगी की कही किसी कॉलेज में डिप्लोमा इन डिप्लोमसी ऐसा कोई कोर्स तो नही चलाया जा रहा है?
सोचते सोचते कब एक्सरसाईज खत्म हूवा कुछ पता ही नही चला. मै घर जाने के लिए निकला. फिर मेरे पास वह पहलेवाला साथी आगया. अभीभी वह उस तरक्कीवाली बात पर अटका हूवा था.
"" आज मानवजातने इतनी तरक्की की है फिरभी आप इसे तरक्की नही मानते... आखीर क्यों? उसने पुछा.
""देखो आज आदमी पर ऐसी नौबत आई की वह किसीसे खुलकर हंस नही सकता... और उस हंसी की कमी को पुरा करने के लिये उसे... किसी लाफ्टरक्लबमे.... जाकर पागलोंकी तरह... झूटमूठ हंसने की नौबत आगई है... इसे क्या तुम तरक्की कहोगे... मै तो कहता हूं की इससे बडी कोई अवनती नही है...'' मै आवेशमें बोल गया.
हम पार्कसे बाहर आकर घर जाने के लिए निकले. वह मेरे साथ वाला आदमी गुमसुम था. वह कुछ जादाही सिरीयस हूवा था.
"" अरे जादा सिरीयसली मत लो... मै ऐसेही बोल गया ... बाय द वे तुम्हारी कौनसी बिल्डींग है...''
मैने बात बदलते हूए पुछा. उसने एक बिल्डीग की तरफ इशारा कर कहा. वो वाली... फ्लॅट नं. सी202...
""अच्छा आप उस बिल्डींमे रहते है... मै अक्सर वहां आता जाता रहता हू... कभी आया तो आपके घर जरुर आवूंगा...'' मैने कहा.
"" आईये जरुर आईए...'' उसने कहां और वह एक गलीमे घर जाने के लिए मुडा.
मेरा विचारचक्र फिरसे शुरु हुवा. डिप्लोमसी के बारेमें..
डिप्लोमसी जिसपर बितती है उसको उससे भले ही गीला हो लेकीन डिप्लोमसी एक कला है. इसमें बहोत लंबा सोचना पडता है. अब देखोना अभी जो मेरे साथ था उसको क्या मालूम की मै एक एल आय सी एजंट हू... और अभी अभी मैने उसे झांसेमे लेना शुरु किया है. वह इस बातसे बिलकुल बेखबर है की धीरे धीरे दोचार दिनमें मै उससे कमसे कम एक एल आय सी पॉलीसी लेकर ही छोडूंगा.
कोई डिप्लोमसी को कला कहता है तो किसीको उससे गिला होता है. लेकिन ये भी सच है की भगवान ने भी इन्सान के साथ बडी बेखुबीसे डिप्लोमसी निभाई है. क्योंकी भगवान ने किसीको कम तो किसीको जादा दिया. फिरभी जादातर लोग उसे श्रध्दासे याद करते है. भगवान जैसी डिप्लोमसी शायद कोई नही कर पाये. या फिर उसके जैसी डिप्लोमसी करने बादही शायद कुछ इन्सानभी भगवान बन जाते है...
- समाप्त -
You can Email this Comedy Story to your friends!
यार तु बडा डिप्लोमॅटीक है... इससे जादा साफ सुधरा डिप्लोमॅटीक कोई स्टेटमेंन्ट नही होगा. क्योंकी असल में उसको कहना होता है... साले ... तु बडा हरामी है... वैसे डिप्लोमसीकी अगर 'डीप्लोमॅटीक' व्याख्या की जाए तो उसका मतलब होता है ... टॅक्टीकली बिहेव करना ताकी उसमे सब का हित हो. लेकिन आज के जमाने के हिसाब से डिप्लोमसीका मतलब होता है .... मुहं मे राम बगल में छुरी. या फिर अपने दिल की बात चेहरे पर जाहिर ना होने देना. कुछ लोग तो उसके भी आगे जाते है. वे दिल में कुछ, चेहरे पर कुछ , बोलते है कुछ, और करते है और कुछ. ये अलग बात की होता और ही कुछ है. और यकिन मानिए जमाना ही आजकल वैसा है की अगर आप डिप्लोमॅटीक नही हो तो आपकी खैर नही. अरे भाई हम किसी के साथ खुले दिल से हंस नही सकते. हंसे तो फंसे. अगर किसीको गलतीसे खुलकर स्माईल दो तो वह आपको सिधासादा समझकर जरुर कही ले जाकर बकरे की तरह काटेगा. कुछ दिन तक तो आप स्माईल करनाभी भूल जाओगे. अरे हंसो तो कुछ लोग सोचते है क्या पागल की तरह हंस रहा है. ऑफिसमें हंस नही सकते... किसी सुंदरीका काम आपके पल्ले पडने का डर है ... घरमें खुलकर हंस नही सकते... जेब कटने का डर है. इसिलिए शायद आजकल लाफ्टर क्लब में लोगोंकी भीड जरा जादाही जमने लगी है.
मै ऐसेही आज सुबह सुबह लाफ्टर क्लबके लिए निकला था. रस्तेसे उसतरफ से एक आदमी आ गया. अक्सर मै उसे लाफ्टर क्लब में देखता था. उसको देखतेही मैने उसे एक मिठीसी मुस्कान दी. और आश्चर्य की बात उसने भी मुस्कान का जवाब मुस्कान सेही दिया. ... क्योंकी आजकल ऐसा बहोत कम देखा जाता है.
"" आप यहां इस कॉलनीमें रहते है? '' मैने पुछा.
"" हां ... आप कहां रहते है'' उसने पुछा.
"" उधर उस बगलवाली कॉलनी में'' मैने जवाब दिया.
एक ही बिल्डींगमें आमने सामने रहनेवाले लोगभी अगर ऐसी बातें करें ... तो आजकल आश्चर्य नही होना चाहिए.
बातें बढते बढते... कहां काम करते है... घर में कौन कौन काम करता है... से लेकर कितना पॅकेज मिलता है यहां तक पहूंच गई. फिर इन्कम टॅक्स का सरल फॉर्म भरा क्या ... उसमे कौनसा डिडक्शन बताया.. वैगेरा वैगेरा. उस सरल फॉर्म के बारेमें मुझे हमेशा एक सवाल आता है की ... इतने तेडे फॉर्म को सरल किस हिसाब से कहते है?
फिर बातें बदलकर आज आदमी ने कितनी तरक्की कर ली इस विषय पर आकर रुकी. उस आदमी का कहना था की आज आदमी चांदसे आगे मंगल पर जाने की सोच रहा है. फोन टीव्ही मोबाईल इन्टरनेट के जरीये आदमी कितना भी दूर क्यों ना हो क्षणोंमे बात हो जाती है. वैगेरा वैगेरा...
मैने कहा यह कैसी? तरक्की इसको भी क्या तरक्की कहते है...
इतनेमे लाफ्टरक्लब का पार्क आगया और हमारी बाते बंद हूई...
क्रमश:...
Labels : comedy kathakathan, free hindi comedy, hindi comedy, hindi comedy story, hindi humor, hindi masti, indian chutkule, indian comedy, indian comedy katha, Indian gags, read hindi humor free
एक सरदारजीका अपने बिवीपर शक था. गुस्सेसे उसने एक बंदूकके दूकानसे बंदूक खरीद ली.
और अचानक बिना बताए अपने घर पहूंचा. देखा तो उसके अनुमानके अनुसार उसकी बिवी किसी ओरके साथ रंगरलीयां मना रही थी.
यह सब नजारा देखकर सरदारजीका गुस्सा सातवे आसमानपर पहूंचा. उसने वह नई नई खरीदी हूई बंदूक सामने अपने बिवीपर तानी. फिर दुखसे विव्हल होकर इरादा बदलते हूए उसने वह बंदूक अपने कनपटीपर लगाई.
वह ट्रीगर दबानेही वाला था की उसकी बिवी चिल्ला उठी, '' नही ..पतिदेव ...ऐसा मत करो''
'' चूप रहो ... अगला नंबर तुम्हारा है '' सरदारजी चिल्लाया.
Labels : चूटकुले, मस्ती, हंसना मना है, हास्य साहित्य, हास्य. हंसो
एक सरदार को एक बार एक जिन्न प्रसन्न हूवा.
जिन्न - तुम मुझे अब तिन चिजे मांग सकते हो. लेकिन याद रखो तुमने जोभी मांगा उसका दुगना बाकी सरदारोंको मिलेगा.
सरदारने कहा - ठिक है.
जिन्न - तो तुम्हारी पहली मांग क्या है?
सरदार मुझे एक घर दो.
सरदारको एक घर मिला और बाकी सारे सरदारोंको दो दो घर मिले.
जिन्न - तुम्हारी दुसरी मांग क्या है?...
सरदार - मुझे एक सुंदर बिवी दो.
सरदारको एक सुंदर बिवी मिली और बाकी सरदारोंको दो दो सुंदर बिवीयां मीली.
अब बाकी सरदार इस सरदार को चिढाने लगे. इस सरदारको बहूत गुस्सा आया.
जिन्न - तुम्हारी तिसरी और आखरी मांग क्या है?
बाकी सरदारोंका उसे चिढाना जारी था. उनको पता था की इसने कुछभी मांगातो उनको उसका दुगना मिलनेवाला है.
उसको समझमें नही आ रहा था की क्या मांगा जाए ताकी बाकी सरदारोंको सबक मिले.
सरदार चिढकर जिन्न से बोला - वह कोनेमें रखी लाठी लो और मुझे मार मारकर अधमरा कर दो...
Labels : bura na mano, funjabi, funjabi jokes, funny jokes, hindi gags, hindi jokes, Hindi Jokes unlimited, indian fun, indian jokes, mast chutkule, masti, sardar comedy, sardar gags, sardar jokes
इंडीया आस्ट्रेलिया के मॅच के दौरान एक आस्ट्रेलियन प्रेक्षक मैदानपर नंगा होकर दौड पडा
यह क्षण टिव्हीपर मॅचे के प्रक्षेपणके दौरान किसी कारणवश दिखाए नही जा सके. वह प्रक्षेक सिधा दौडा तो सायमन्डके पास जा पहूचा. सायमंड उसे कोहनीसे दूर हटाते हूए .
नंगेसे खुदा डरे यूंही नही कहते. वह प्रेक्षक नंगा मैदानपर लेटकर मजे ले रहा है और पुलिसवाला उसके पास जानेको डर रहा है...
और मजा तो तब आया जब वह नंगा प्रेक्षक बिनदास खडा था और पुलिस उसे 'कवर' करनेकी कोशीश कर रहे थे.
------
सुना है बादमें पुलिसने उसपर 1500 डॉलर (यानी 60000/- रुपए) का जुर्माना लगाया।
---- Use Email this option below to share this photos with your friends - or forward the link - http://indiacomedy.blogspot.com/2008/03/photos.html
Labels : Australia, Australia loose, bhajji, cricket, cricket comedy, cricket fun, cricket joke, Dhoni, harbhajan singh, india, India Australia match, India win, nude run on ground, simonds, tendulkar, yuvi
एक सरदारजीको रस्ते से जाते हूए सरदारजी उस आदमीके पास गया और उसने झटसे अपने डॉक्टरको फोन कीया.
एक डॉक्टरको एक सरदारजी का रातके बारा बजेके आसपास फोन आया,
'' डॉक्टर साहाब .. अभी घर वापस जाते हूए मुझे एक आदमी रस्तेपर पडा हूवा मिला. मेरी तो कुछ समझमे नही आ रहा है की क्या करु ''
डॉक्टरने कहा, "" शांतीसे काम लो ... जादा घबरानेकी कोई बात नही ... मै स्टेप बाय स्टेप जो कहता हू वैसा करते जावो''
'' जी '' उधरसे सरदारजीका जवाब आया.
आगे डॉक्टरने कहा, '' अब सबसे पहले वह आदमी जिंदा है या मरा हुवा इसकी तसल्ली करलो ''
उधर से फोनपर डॉक्टरको बंदूक चलानेका आवाज आया.
'' हां करली तसल्ली ... मरा हूवा है ... अब?'' सरदारजीने पुछा.
Labels : bollywood comedy, bollywood jokes, free comedy, free jokes, hindi comedy, hindi gags, hindi jokes, indian comedy, Indian gags, indian jokes, laughter, laughter challenge
एक रेल्वेमें काम करनेवाला सरदारजी पुलिसमें गया.
" इन्सपेक्टर साहाब मेरे यहां चोरी हो गई है जरा रिपोर्ट तो लीखो'
इन्सपेक्टरने पुछा, " कब होगई चोरी..?''
सरदारजीने जवाब दिया., "1945 को'
इन्स्पेक्टरने व्यंगसे कहा , ' तो बडी जल्दी रिपोर्ट लिखवा रहे हो'
' फिर अपना कामही बडा तेज है ... 1945 को चोरी होगई और देखो 2030 हो रहे है... 45 मिनटमें यहां पहूंचा हूं''
Labels : brand new hindi jokes, hindi Comedy stories, hindi gags, hindi jokes, Hindi Jokes unlimited, interesting hindi jokes, new hindi jokes, profession hindi jokes, sardar jokes
इस साईट पर आपभी चुटकुले भेज सकते है